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Top 5 Lesser-Known Panchatantra Stories for Kids – बच्चों के लिए अनसुनी नैतिक कहानियाँ

1. नीलकंठ और शिकारी का जाल

जंगल में एक नीलकंठ पक्षी एक ऊँचे पेड़ पर रहता था। वह हर सुबह मीठे सुरों में गाता और बाकी पक्षी उसे आदर से देखते थे।

एक दिन एक शिकारी जंगल में आया और पेड़ के नीचे जाल बिछा गया। नीलकंठ ने यह सब देखा, लेकिन वह डरने की बजाय सोचने लगा।

थोड़ी देर में कुछ कबूतर उड़ते हुए आए और पेड़ के नीचे दाना देखकर उतरने लगे। नीलकंठ ने तुरंत उन्हें चेतावनी दी — “रुको! यह जाल है।”

कबूतर रुक गए और पेड़ पर आकर नीलकंठ से पूछा, “तुम्हें कैसे पता?”

नीलकंठ बोला, “मैंने शिकारी को यह बिछाते देखा था। बिना सोचे समझे कहीं भी उतरना खतरे से खाली नहीं होता।”

तभी शिकारी छिपे हुए झाड़ियों से निकला — पर कोई पक्षी नीचे नहीं था। वह गुस्से में जाल समेटकर चला गया।

उस दिन जंगल के सारे पक्षियों ने नीलकंठ की बुद्धिमानी की सराहना की और उसे अपना नेता मान लिया।

शिक्षा: बुद्धिमानी और सही समय पर निर्णय लेना ही सच्ची सुरक्षा है।

2. गधा बना शेर – नकली शान की सच्चाई

एक जंगल में एक धोबी अपने गधे को रोज़ काम पर ले जाता था। गधा दिन भर कपड़े ढोता और रात को थक कर सो जाता।

गधे को लगता कि उसे कोई सम्मान नहीं देता, जबकि शेर को सभी जानवर राजा मानते हैं। एक दिन गधे ने शिकायती लहजे में कहा, “काश मैं शेर होता तो सब मेरा सम्मान करते।”

धोबी ने मज़ाक में कहा, “अगर तुझे शेर जैसा दिखा दूँ तो तू क्या करेगा?”

गधे ने खुश होकर हामी भर दी। अगले दिन धोबी ने उसे शेर की खाल ओढ़ा दी और कहा, “जा, जंगल में घूम आ।”

गधा जंगल में शेर की खाल पहनकर चला। सभी जानवर डरकर इधर-उधर भागने लगे। गधा बहुत खुश हुआ।

लेकिन तभी, वह ज़ोर से हिनहिनाने लगा — अपनी खुशी में वह भूल गया कि वह शेर नहीं, गधा है।

आवाज़ सुनते ही एक चालाक लोमड़ी ने कहा, “यह तो नकली शेर है!” और सभी जानवरों ने मिलकर उसे भगा दिया।

गधा शर्मिंदा होकर धोबी के पास लौट आया और कहा, “अब मैं समझा — दिखावे से सम्मान नहीं मिलता, गुणों से मिलता है।”

शिक्षा: दिखावा कभी सच्चाई की जगह नहीं ले सकता। जैसा हो, वैसा ही रहो।

3. चालाक सियार और दो बैल

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल के किनारे दो बलशाली बैल रहते थे — संबल और चंद्र। दोनों मित्र थे और हमेशा एक-दूसरे का साथ निभाते थे। वे साथ चरते, खेलते और जंगल में शांति से रहते।

एक दिन किसी बात पर उनके बीच बहस हो गई। धीरे-धीरे वह बहस झगड़े में बदल गई। दोनों एक-दूसरे से नाराज़ हो गए और अलग-अलग दिशा में रहने लगे।

उसी जंगल में एक चालाक सियार भी रहता था। वह दोनों बैलों की ताकत से डरता था, लेकिन अब जब उसने देखा कि वे अलग हो गए हैं, तो उसकी आँखों में चमक आ गई।

“जब दो ताक़तवर आपस में झगड़ते हैं, तो मुझे अवसर मिल सकता है!” उसने सोचा।

सियार पहले चंद्र के पास गया और कहा, “मैंने संबल को कहते सुना है कि वह तुम्हें सबक सिखाएगा।”

फिर वह संबल के पास गया और बोला, “चंद्र अब बहुत गुस्से में है और तुम्हारे पीछे है।”

इस तरह से वह दोनों के बीच डर और गलतफहमी बढ़ाने लगा। अंत में, दोनों बैल एक दिन आमने-सामने आ गए और भयंकर लड़ाई हुई। दोनों बुरी तरह घायल हो गए।

चालाक सियार पास ही झाड़ियों में छिपकर देख रहा था। जैसे ही दोनों बैल ज़मीन पर गिरे, वह हँसते हुए बोला, “अब मैं आराम से अपना भोजन कर सकता हूँ!” और वह वहां पड़ा घास और फलों का भंडार खाने लगा जिसे दोनों बैल बचाकर रखते थे।

शिक्षा: जब दो बलवान आपस में लड़ते हैं, तो चतुर और चालाक तीसरा व्यक्ति लाभ उठा लेता है। आपसी एकता ही सबसे बड़ी ताक़त है।

4. हंस, कछुआ और चुप रहने की सीख:

बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर झील के किनारे एक कछुआ रहता था। उसका नाम था मंडूक। वह बहुत बातूनी था — इतना कि वह बिना रुके घंटों बोलता रहता।

उसी झील में दो हंस भी रहते थे – सारंग और सुधीर। वे शांत, समझदार और बुद्धिमान थे। वे कछुए के मित्र बन गए लेकिन अक्सर उसकी बातूनी आदत से परेशान रहते थे।

एक साल भीषण सूखा पड़ा। झील सूखने लगी और पानी लगभग खत्म हो गया। हंसों ने तय किया कि वे किसी दूसरी झील में चले जाएँगे। लेकिन कछुआ उदास हो गया — “मुझे भी ले चलो, मित्रों! मैं यहाँ मर जाऊँगा।”

हंसों ने सोचा और एक योजना बनाई। वे एक मजबूत लकड़ी लाए और बोले,
“हम इस लकड़ी को पकड़ कर उड़ेंगे। तुम अपने मुँह से इसे बीच से पकड़ लेना। लेकिन ध्यान रखना — उड़ान भरते समय कुछ भी मत बोलना, वरना गिर जाओगे।”

कछुए ने हामी भर दी। उड़ान शुरू हुई।

जैसे ही वे गाँवों और खेतों के ऊपर से उड़ने लगे, नीचे लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। सब चिल्ला रहे थे —
“देखो! क्या मजेदार नज़ारा है — हंस उड़ रहे हैं और एक कछुआ बीच में लटका है!”

यह सुनकर मंडूक का घमंड जाग उठा। उसने सोचा, “इन लोगों को बताना चाहिए कि यह मेरी चालाकी है!”
जैसे ही उसने बोलने के लिए मुँह खोला, वह लकड़ी से गिर पड़ा और सीधा ज़मीन पर जा टकराया।

हंस दुखी हो गए —
“हमने उसे चेताया था… लेकिन वह अपनी आदत से बाज़ नहीं आया।”

शिक्षा: चुप रहना कभी-कभी जीवन बचा सकता है। बेमतलब बोलना संकट का कारण बन सकता है। बोलने से पहले सोचो – यही बुद्धिमानी है।

5. जंगल की सभा और नकली राजा

बहुत समय पहले की बात है, एक बड़े जंगल में जानवरों ने एक सभा बुलाई। वर्षों से जंगल बिना किसी राजा के था — हर कोई अपनी मर्ज़ी करता, जिससे अराजकता फैल गई थी। अब सभी चाहते थे कि जंगल को एक राजा मिले, जो न्यायप्रिय हो और सबकी रक्षा करे।

सभा में शेर, हाथी, चीता, भालू — सब मौजूद थे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि एक लोमड़ी, जिसका नाम था कुटिलक, खुद को राजा बनाने की कोशिश कर रही थी।

कुटिलक ने मंच पर आकर कहा:
“मैं बुद्धिमान हूँ, तेज़ हूँ और चालाक भी। शेर सिर्फ ताक़तवर है, पर मैं हर समस्या को दिमाग से हल कर सकता हूँ। राजा को सिर्फ ताक़त नहीं, चतुराई भी चाहिए।”

कुछ जानवर उसकी बातों में आ गए, खासकर छोटे जानवर जो ताक़तवर प्राणियों से डरते थे।

सभा में एक कोना था जहाँ एक चुपचाप बैठा हुआ सियार था — नाम था नीरव। वह बहुत समझदार था लेकिन किसी सभा में बोलता नहीं था।

सभा जैसे ही खत्म हुई, नीरव ने लोमड़ी का पीछा किया। उसे कुछ शक हुआ।

रात को उसने देखा कि कुटिलक चोरी-छिपे एक शिकारी से मिल रही थी। वह जंगल का नक्शा और जानवरों के नाम उसे दे रही थी। बदले में शिकारी ने वादा किया कि अगर वह जंगल पर कब्ज़ा कर ले, तो लोमड़ी को राजा बना देगा।

नीरव चुपचाप लौट आया।

अगली सुबह, जब लोमड़ी को राजा घोषित करने की तैयारी हो रही थी, नीरव मंच पर गया और सबके सामने कल रात का सारा भेद खोल दिया। जानवर पहले तो चौंके, लेकिन फिर उसने कुछ पत्तों के पीछे छिपा शिकारी का सामान भी दिखा दिया — जाल, फंदे और लोमड़ी की दी हुई नक़्शे की प्रतिलिपि।

सभा में सन्नाटा छा गया।

शेर ने तुरंत गरजते हुए कहा:
“जिसने अपने ही साथियों से गद्दारी की, वह राजा नहीं, अपराधी कहलाएगा।”

कुटिलक को जंगल से निकाल दिया गया, और सभी की सहमति से नीरव सियार को जंगल का सलाहकार बनाया गया — क्योंकि उसने बिना ताक़त दिखाए बुद्धि से जंगल को बचा लिया।

शिक्षा: सच्चा नेता वो नहीं जो ज़ोर से बोले, बल्कि वो होता है जो सत्य, निष्ठा और बुद्धिमानी से संकट को पहचान कर उसे रोक सके। चुप रहने वाला हर बार कमजोर नहीं होता — कभी-कभी वही सबसे समझदार होता है।

निष्कर्ष: नैतिकता से भरी कहानियों की अनमोल विरासत

पंचतंत्र की कहानियाँ केवल मनोरंजन नहीं हैं, बल्कि वे जीवन की अनमोल सीखों का भंडार हैं। आज की भागदौड़ भरी दुनिया में जब बच्चों के पास सोचने और समझने का समय कम होता जा रहा है, ऐसे में ये कहानियाँ उन्हें सही और गलत का फर्क, बुद्धिमानी की अहमियत और नैतिकता की गहराई सिखाती हैं।

इन अनसुनी और दिलचस्प कहानियों के ज़रिए हम सिर्फ बच्चों का मनोरंजन ही नहीं कर रहे, बल्कि उनके भीतर सही सोच, साहस, चतुराई और दया जैसे मूल्य भी रोप रहे हैं।

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